रिमझिम गिरती बूंदों के उस पार खड़ी तुम देखूँ किसको ना देखूँ उलझन बढ़ा गई तुम बूंदों की चादर के इस पार चली आओ तुम धुलकर अमृत की बूंदों से हो जाओ नई तुम ©Dinesh Kumar #Poetry #Poet #nojotohindi #Red #tmasweb