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आँसू तुम्हारे बाँध देते हैं हमें, कसूरवार बन हम खु

आँसू तुम्हारे बाँध देते हैं हमें,
कसूरवार बन हम खुद से शर्मिंदा हो जाएंगे,
हौसलाअफजाई करना तुम्हारी मुस्कान से,
वादा करते हैं लौट आएंगे ।।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।।

सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, 
तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। 
दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, 
मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे।
  
© Sasmita Nayak
आँसू तुम्हारे बाँध देते हैं हमें,
कसूरवार बन हम खुद से शर्मिंदा हो जाएंगे,
हौसलाअफजाई करना तुम्हारी मुस्कान से,
वादा करते हैं लौट आएंगे ।।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।।

सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, 
तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। 
दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, 
मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे।
  
© Sasmita Nayak
sitalakshmi6065

Sita Prasad

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