आँसू तुम्हारे बाँध देते हैं हमें, कसूरवार बन हम खुद से शर्मिंदा हो जाएंगे, हौसलाअफजाई करना तुम्हारी मुस्कान से, वादा करते हैं लौट आएंगे ।।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।। सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे। © Sasmita Nayak