जिंदगी पार करनी है! अमृत पीके तो ,देवगन गए हैं चिरायु नहीं ,हम तो मानव लोग के वासी हैं बदलना पल-पल समाज के ,साथ यही तो दुनियादारी है सुख और दुखों से हटकर, कोशिश जीने की करनी है कभी लगे कारावास, कभी लगे आजादी है मन के बंदी है हम ,मनुष्य स्वार्थी प्राणी हैं कष्टों और संघर्षों से भरी, यहीं जिंदगानी है किसी के खुशी में ,खुश रहना यही कहानी है हर किसी को लक्ष्मी माता ,घर पर बिठानी है बिना मेहनत के, यश की प्राप्ति कैसे करनी है जीवन चक्र की परिक्रमा, यही तो करवानी है जन्म से मृत्यु तक सबको, जिंदगी पार करनी है ©VAniya writer * अमृत पीके तो ,देवगन गए हैं चिरायु नहीं ,हम तो मानव लोग के वासी हैं बदलना पल-पल समाज के ,साथ यही तो दुनियादारी है सुख और दुखों से हटकर, कोशिश जीने की करनी है कभी लगे कारावास, कभी लगे आजादी है मन के बंदी है हम ,मनुष्य स्वार्थी प्राणी हैं