अब के जो मिलूँँगा मैं शराफ़त, सादगी से छन के मिलूँगा, अकड़ का लबादा, पहन के मिलूँगा, मेरे रौब के आगे, घुटने टेकोगे तुम भी, ऐसे ही किसी क़िरदार में रंग के मिलूँगा, बना लो मज़ाक मेरा जब-तक बना सको, मैं सफ़लताओं की सीढ़ियाँ चढ़ के मिलूँगा, हार भी गया कभी तो शान होगी मेरे हार में, क़ामयाबियों की ऐसी मिसाल बन के मिलूँगा, अब-तक मिला कहाँ “साकेत" खुलकर तुमसे, अब के जो मिलूँगा, मग़रूरी में तन के मिलूँगा। IG:— my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla अब के जो मिलूँँगा मैं..! . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment