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सभी विद्वान जन यही कहते हैं कि विद्या धन से सच्चा

सभी विद्वान जन यही कहते हैं कि विद्या धन से सच्चा कोई धन नहीं है,
विद्या प्राप्त कर अज्ञानी भी बन जाता है ज्ञानी, इसमें कोई संशय नहीं है।

विद्या गुणों की खान है,विद्या से बनते महान हैं, विद्वान पाता जग में मान है।
विद्या ही ऐसा धन है जिसे चोर चुरा सकता नहीं,आग जला सकती नहीं है।

विद्या धन ही अज्ञानता को जीवन से हटाकर, ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। 
इसे जितना भी बांटो उतना ही ज्यादा बढ़ता है, बांटने से कम होता नहीं है।

 विद्या  धन उद्यम बिना कहौ जु पावै कौन। 
बिना डुलाए ना मिले ज्यों पंखा की पौन॥

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❄ दिये गये विषय पर केवल  6 पंक्तियों में रचना करें।
सभी विद्वान जन यही कहते हैं कि विद्या धन से सच्चा कोई धन नहीं है,
विद्या प्राप्त कर अज्ञानी भी बन जाता है ज्ञानी, इसमें कोई संशय नहीं है।

विद्या गुणों की खान है,विद्या से बनते महान हैं, विद्वान पाता जग में मान है।
विद्या ही ऐसा धन है जिसे चोर चुरा सकता नहीं,आग जला सकती नहीं है।

विद्या धन ही अज्ञानता को जीवन से हटाकर, ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। 
इसे जितना भी बांटो उतना ही ज्यादा बढ़ता है, बांटने से कम होता नहीं है।

 विद्या  धन उद्यम बिना कहौ जु पावै कौन। 
बिना डुलाए ना मिले ज्यों पंखा की पौन॥

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