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व्यक्ति के शरीर में पिछली सात पीढियों तक का अंश हो

व्यक्ति के शरीर में पिछली
सात पीढियों तक का अंश होता है
जो उसके व्यक्तित्व में परिलक्षित होता है।
व्यक्ति के मार्ग में ज्यों-ज्यों निमित्त आते हैं
वे इन संस्कारों से जुड़ते जाते हैं।
कुछ संस्कार पलते जाते हैं
कुछ छूटते जाते हैं।
उनकी छाप व्यक्ति के अवचेतन मन पर
अंकित होती रहती है।
फिर, समान प्रकृति का निमित्त आते ही
पिछली स्मृति उसका व्यवहार याद करा देती है
पिछले अनुभवों के आधार पर वह
अगला व्यवहार करता चला जाता है। 💕👨🍧🍨🍧🍨💕🍫🍫🍫💕💕☕☕☕👨
:🍧🍨🍫☕👨💕
माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता है कि समाज उसको बुरा न मान ले। वह अच्छे से अच्छा आचरण करके समाज में अपना सम्मान बनाए रखने का प्रयास करता रहता है। यही भाव उसमें नए संस्कार प्रतिपादित करता है।
:💕👨☕🍫🍨🍧
यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति की मूल प्रकृति पूरी उम्र ढकी ही रहती है। वह संसार में क्यों आया है, और वह कौन है, इसका आभास मात्र भी उसे नहीं हो पाता। किन्तु, उसका यह मूल स्वरूप भी उम्र भ
व्यक्ति के शरीर में पिछली
सात पीढियों तक का अंश होता है
जो उसके व्यक्तित्व में परिलक्षित होता है।
व्यक्ति के मार्ग में ज्यों-ज्यों निमित्त आते हैं
वे इन संस्कारों से जुड़ते जाते हैं।
कुछ संस्कार पलते जाते हैं
कुछ छूटते जाते हैं।
उनकी छाप व्यक्ति के अवचेतन मन पर
अंकित होती रहती है।
फिर, समान प्रकृति का निमित्त आते ही
पिछली स्मृति उसका व्यवहार याद करा देती है
पिछले अनुभवों के आधार पर वह
अगला व्यवहार करता चला जाता है। 💕👨🍧🍨🍧🍨💕🍫🍫🍫💕💕☕☕☕👨
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माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता है कि समाज उसको बुरा न मान ले। वह अच्छे से अच्छा आचरण करके समाज में अपना सम्मान बनाए रखने का प्रयास करता रहता है। यही भाव उसमें नए संस्कार प्रतिपादित करता है।
:💕👨☕🍫🍨🍧
यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति की मूल प्रकृति पूरी उम्र ढकी ही रहती है। वह संसार में क्यों आया है, और वह कौन है, इसका आभास मात्र भी उसे नहीं हो पाता। किन्तु, उसका यह मूल स्वरूप भी उम्र भ

💕👨🍧🍨🍧🍨💕🍫🍫🍫💕💕☕☕☕👨 :🍧🍨🍫☕👨💕 माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता है कि समाज उसको बुरा न मान ले। वह अच्छे से अच्छा आचरण करके समाज में अपना सम्मान बनाए रखने का प्रयास करता रहता है। यही भाव उसमें नए संस्कार प्रतिपादित करता है। :💕👨☕🍫🍨🍧 यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति की मूल प्रकृति पूरी उम्र ढकी ही रहती है। वह संसार में क्यों आया है, और वह कौन है, इसका आभास मात्र भी उसे नहीं हो पाता। किन्तु, उसका यह मूल स्वरूप भी उम्र भ