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#OpenPoetry कैसा लगता है जब तुम कहते हो कि "तुम बस

#OpenPoetry कैसा लगता है जब तुम कहते हो कि "तुम बस रहने दो?"
तुम्हे बताऊँ...खैर रहने दो क्योंकि तुम नहीं समझोगे..

तुम नहीं समझोगे कि क्यों हम बात नहीं कर पाते,
तुम नहीं समझोगे कि आखिर क्यों हम मुलाकात नहीं कर पाते...

तुमने बस अपनी ही बातें करनी होती हैं मुझसे,
मुझे क्या कहना है कभी तो पूछ भी लो मुझसे...

मैं भी अपनी बातें बताउंगी तुम्हे...उतने ही प्यार से..वैसे ही अहसास से...
मैं चाहती हूं कि बैठूं तुम्हारे पास...अपने कांपते हाथों में लेकर तुम्हारा हाथ...

मगर दिल सिसक सा जाता है ऐसे ही अचानक...अमूमन...
मेरे जहन में आता है कि कह दूँ तुमसे...लेकिन "तुम नहीं समझोगे" #OpenPoetry #hiteshsongara
#OpenPoetry कैसा लगता है जब तुम कहते हो कि "तुम बस रहने दो?"
तुम्हे बताऊँ...खैर रहने दो क्योंकि तुम नहीं समझोगे..

तुम नहीं समझोगे कि क्यों हम बात नहीं कर पाते,
तुम नहीं समझोगे कि आखिर क्यों हम मुलाकात नहीं कर पाते...

तुमने बस अपनी ही बातें करनी होती हैं मुझसे,
मुझे क्या कहना है कभी तो पूछ भी लो मुझसे...

मैं भी अपनी बातें बताउंगी तुम्हे...उतने ही प्यार से..वैसे ही अहसास से...
मैं चाहती हूं कि बैठूं तुम्हारे पास...अपने कांपते हाथों में लेकर तुम्हारा हाथ...

मगर दिल सिसक सा जाता है ऐसे ही अचानक...अमूमन...
मेरे जहन में आता है कि कह दूँ तुमसे...लेकिन "तुम नहीं समझोगे" #OpenPoetry #hiteshsongara