मेरे मन की जो जाने ऐसी काया है तू, बरसती धूप में मूझपर बिछी छाया है तू, अनजानी गलियों में हर वक़्त आया है तू, तेरी तस्वीर बंद आंखों में भर के कभी देखूं, बस खयालों से सही पर तुझे छूकर कभी देखूं। यही दिन रात मैं सोचूँ तुझे छूकर कभी देखूँ ओ मेरे ख़्वाब। अपने ख़्वाब के बारे में लिखें। #छूकरदेखूँ #collab #yqdidi ...