मेरे संकलन जब भी अकेला होता हूँ पढ़ता हूँ और अक़्सर सबके साथ साझा करता हूँ ।
ऐसी ही कुछ संकलित पंक्तिया-
25-12-013 को #प्रियंका त्रिपाठी की वाल से की थी आपके सामने प्रस्तुत हैं -----
:बैठा था कल तक जो किस्मत के भरोसे
उस शख्स को हाथ मलते देखा है !
माँज के बर्तन जिसने पाला था बच्चो को
घर के बाहर उस माँ को सोते देखा है !
: #पंछी#पाठक#हरे