मैं यहाँ शहर में कुशल हूँ मस्ती से रहता हूँ कोई रोक टोक नही है समय पर खर्चे के पैसे आ रहे है जैसे चाहूं, वैसे घूम रहा हूँ। पर जब बिगड़ती है तबियत घर बहुत याद आता है