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मैं यहाँ शहर में कुशल हूँ मस्ती से रहता हूँ






 मैं यहाँ शहर में कुशल हूँ
मस्ती से रहता हूँ
कोई रोक टोक नही है
समय पर खर्चे के पैसे आ रहे है
जैसे चाहूं, वैसे घूम रहा हूँ।

पर जब बिगड़ती है तबियत
घर बहुत याद आता है





 मैं यहाँ शहर में कुशल हूँ
मस्ती से रहता हूँ
कोई रोक टोक नही है
समय पर खर्चे के पैसे आ रहे है
जैसे चाहूं, वैसे घूम रहा हूँ।

पर जब बिगड़ती है तबियत
घर बहुत याद आता है
adityafogat9581

Aditya Fogat

New Creator