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इश्क की आग ने सुपन (झूठ) के देह को मिटा दिया" 💐

इश्क की आग ने सुपन (झूठ) के देह को मिटा दिया" 💐
                                                    - श्री सिनगार

जित रहे  आग इस्क की ,तित देह सुपन रहे क्यों कर ।
बिना मोमिन दुनी न छूटहीं, दुनी ज्यों बिन जलचर ।। 94

बारहवीं सदी (संबत1745) में  जब फजर #जागनी का समय आया " अग्यारहबी सदी पूरन, तब खुली रूह नजर'
#मोमिनो की रूह की नजर खुल गई अब वे आतम सरूप हो जाते  और राजजी के इस्क के प्याले पीने लगते है 
इस्क #आग है जिसने सुपन झूठ की देह को जला दिया ।

यानी राजजी के साथ कयामत की दावत में आए हुए  परमहंसों  ने श्री अक्षरातीत की निसबत चुनी
 (हंस क्या करते है  पानी में से दूध ग्रहण करता है निबेरा)
वे धामी राजजी के साथ दारुल बका की यात्रा में निकले दुनियां को छोड़ के अपना घर परिवार संसार छोड़के 

परना परमधाम में राजजी के आमंत्रण दावत जागनी की पाकर 
कयामत जागनी का आमंत्रण तो सबको दिया लेकिन दुनियां के जीव संसार को छोड़ कर 
परमधाम की वाहेदत को नही अपना सकते श्री प्राणनाथ के एक दीन पर ईमान नही ला सकते ।

और आशिक वाहेदत के इन हूँ बड़ी पेहचान ।
एही खूब खिलौने हक के , मुख मीठी सुनाबे बान ।।87
जो बाहेदत के आशिक परमधाम में राजजी के जो आशिक है इनकी बहुत बडी पहचान है "यह अपने मुख से मीठी वाणी बोलते है 
मीठी वाणी ?
बोली बोलाबे मेहर की मोमिन धनीधाम के मेहर की मीठी वाणी बोलते ।
क्या मेहर हुई ?
श्री अक्षरातीत के इश्क और साहबी के यह मोमिन खिलोने है ।
अर्थात श्री पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ने अपनी इश्क और साहबी इन खिलौनो जिन्हें  #धामी  कहा गया से जाहेर की .

यह मेहर की बोली धामी बोलते है 

'"इन गुनहगारों के दिल को अर्स कर बैठे मेहरवान"

सुन्दरसाथ की चरण रज - बाबा सुनील धामी
श्री निजानन्द अद्वैत मिशन #Heart
इश्क की आग ने सुपन (झूठ) के देह को मिटा दिया" 💐
                                                    - श्री सिनगार

जित रहे  आग इस्क की ,तित देह सुपन रहे क्यों कर ।
बिना मोमिन दुनी न छूटहीं, दुनी ज्यों बिन जलचर ।। 94

बारहवीं सदी (संबत1745) में  जब फजर #जागनी का समय आया " अग्यारहबी सदी पूरन, तब खुली रूह नजर'
#मोमिनो की रूह की नजर खुल गई अब वे आतम सरूप हो जाते  और राजजी के इस्क के प्याले पीने लगते है 
इस्क #आग है जिसने सुपन झूठ की देह को जला दिया ।

यानी राजजी के साथ कयामत की दावत में आए हुए  परमहंसों  ने श्री अक्षरातीत की निसबत चुनी
 (हंस क्या करते है  पानी में से दूध ग्रहण करता है निबेरा)
वे धामी राजजी के साथ दारुल बका की यात्रा में निकले दुनियां को छोड़ के अपना घर परिवार संसार छोड़के 

परना परमधाम में राजजी के आमंत्रण दावत जागनी की पाकर 
कयामत जागनी का आमंत्रण तो सबको दिया लेकिन दुनियां के जीव संसार को छोड़ कर 
परमधाम की वाहेदत को नही अपना सकते श्री प्राणनाथ के एक दीन पर ईमान नही ला सकते ।

और आशिक वाहेदत के इन हूँ बड़ी पेहचान ।
एही खूब खिलौने हक के , मुख मीठी सुनाबे बान ।।87
जो बाहेदत के आशिक परमधाम में राजजी के जो आशिक है इनकी बहुत बडी पहचान है "यह अपने मुख से मीठी वाणी बोलते है 
मीठी वाणी ?
बोली बोलाबे मेहर की मोमिन धनीधाम के मेहर की मीठी वाणी बोलते ।
क्या मेहर हुई ?
श्री अक्षरातीत के इश्क और साहबी के यह मोमिन खिलोने है ।
अर्थात श्री पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ने अपनी इश्क और साहबी इन खिलौनो जिन्हें  #धामी  कहा गया से जाहेर की .

यह मेहर की बोली धामी बोलते है 

'"इन गुनहगारों के दिल को अर्स कर बैठे मेहरवान"

सुन्दरसाथ की चरण रज - बाबा सुनील धामी
श्री निजानन्द अद्वैत मिशन #Heart