Nojoto: Largest Storytelling Platform

समझ को न समझ समझदार को समझाने चले है, अपनो से नाता

समझ को न समझ समझदार को समझाने चले है,
अपनो से नाता तोड़ गैरों से रिश्ता नए बनाने चले है।

कभी सुना था माँ बाप के क़दमों मे जन्नत होती है।
आज बच्चे अपने ही माँ बाप को आंख दिखाने चले है।

रिश्ता निभाया जिसने रिश्तों की एहमियत पूछो उनसे।
वो आज उनको ही अपनी रिस्तेदारी समझाने चले है।।

अपनी जवानी में चार कदम क्या चले हो अकेले।
अच्छा और बुरा क्या होता ये अपनो को बताने चले है।

जिसने अपना जीवन तुम्हारी ख्वाहिशो पर वार दिया।
वो आज उन्ही पर अपना हाथ उठाने चले है।

समझ को न समझ समझदार को समझाने चले है,
अपनो से नाता तोड़ गैरों से रिश्ता नए बनाने चले है।

©bheem vishawkarma(jigar) #perents 

#bonding
समझ को न समझ समझदार को समझाने चले है,
अपनो से नाता तोड़ गैरों से रिश्ता नए बनाने चले है।

कभी सुना था माँ बाप के क़दमों मे जन्नत होती है।
आज बच्चे अपने ही माँ बाप को आंख दिखाने चले है।

रिश्ता निभाया जिसने रिश्तों की एहमियत पूछो उनसे।
वो आज उनको ही अपनी रिस्तेदारी समझाने चले है।।

अपनी जवानी में चार कदम क्या चले हो अकेले।
अच्छा और बुरा क्या होता ये अपनो को बताने चले है।

जिसने अपना जीवन तुम्हारी ख्वाहिशो पर वार दिया।
वो आज उन्ही पर अपना हाथ उठाने चले है।

समझ को न समझ समझदार को समझाने चले है,
अपनो से नाता तोड़ गैरों से रिश्ता नए बनाने चले है।

©bheem vishawkarma(jigar) #perents 

#bonding