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कि मोतिहारी को गलियों से भी छोटी तुम्हारी सोच है क

कि मोतिहारी को गलियों से भी छोटी तुम्हारी सोच है कि मोतिहारी की गलियों से भी छोटी तुम्हारी सोच है और तुम करण जी को ना पहचान पाई इस बात का अफसोस है

©Karan Soljar Singh
कि मोतिहारी को गलियों से भी छोटी तुम्हारी सोच है कि मोतिहारी की गलियों से भी छोटी तुम्हारी सोच है और तुम करण जी को ना पहचान पाई इस बात का अफसोस है

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