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कि कांटा दिल में ऐसा चुभा जो कभी निकला ही नहीं, उन

कि कांटा दिल में ऐसा चुभा
जो कभी निकला ही नहीं,
उन आंखों का नशा ऐसा चढ़ा
कि जो कभी उतरा ही नहीं,
कल रात, देर रात खूब पी गई 
गम वही रहे, मगर आसुओं की 
कोई रज़ा ही नहीं रही।
-हसको जगारा

©Hasko Jaggara कि कांटा दिल में ऐसा चुभा
जो कभी निकला ही नहीं,
उन आंखों का नशा ऐसा चढ़ा
कि जो कभी उतरा ही नहीं,
कल रात, देर रात खूब पी गई 
गम वही रहे, मगर आसुओं की 
कोई रज़ा ही नहीं रही।
-हसको जगारा
कि कांटा दिल में ऐसा चुभा
जो कभी निकला ही नहीं,
उन आंखों का नशा ऐसा चढ़ा
कि जो कभी उतरा ही नहीं,
कल रात, देर रात खूब पी गई 
गम वही रहे, मगर आसुओं की 
कोई रज़ा ही नहीं रही।
-हसको जगारा

©Hasko Jaggara कि कांटा दिल में ऐसा चुभा
जो कभी निकला ही नहीं,
उन आंखों का नशा ऐसा चढ़ा
कि जो कभी उतरा ही नहीं,
कल रात, देर रात खूब पी गई 
गम वही रहे, मगर आसुओं की 
कोई रज़ा ही नहीं रही।
-हसको जगारा

कि कांटा दिल में ऐसा चुभा जो कभी निकला ही नहीं, उन आंखों का नशा ऐसा चढ़ा कि जो कभी उतरा ही नहीं, कल रात, देर रात खूब पी गई गम वही रहे, मगर आसुओं की कोई रज़ा ही नहीं रही। -हसको जगारा #कविता #haskojaggara #हसको_जगारा #hasko_jaggara #jaggaraofficials #हसकोजगारा