दिपक की लौह के मोह पर पतंगा खींचा चला आता है ये भूलकर की आगे उसका अंजाम...क्या होगा??? आज उस लौह की जीत से ज्यादा इस पतंगे की हार के चर्चें हैं अब इश्क़ में इससे बड़ा कोई मुकाम...क्या होगा??? सारांश...जिंदगी का