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"कुण्डलिया-छन्द" जल बिन सूनो जीवना , सूनो जौ संसार

"कुण्डलिया-छन्द"
जल बिन सूनो जीवना , सूनो जौ संसार । 
जल बिन हम इस धरा पे , का करहें आहार ।।
का  करहें आहार , बिन जल कछु ना  होवे ।
रे मानुष-मन जागजा , काहे चैन सें  सोवे ।।
कह शिवसागर सुनैं , कैंसे हो जल बिन कल ।
हर-इक् बूँद बचाले , है जगत का अमरत जल ।।

  -शिवशंकर पाठक "शिवसागर" 
    सागर , मध्यप्रदेश

©Shivshankar pathak #seaside#कुण्डलिया #छन्द
"कुण्डलिया-छन्द"
जल बिन सूनो जीवना , सूनो जौ संसार । 
जल बिन हम इस धरा पे , का करहें आहार ।।
का  करहें आहार , बिन जल कछु ना  होवे ।
रे मानुष-मन जागजा , काहे चैन सें  सोवे ।।
कह शिवसागर सुनैं , कैंसे हो जल बिन कल ।
हर-इक् बूँद बचाले , है जगत का अमरत जल ।।

  -शिवशंकर पाठक "शिवसागर" 
    सागर , मध्यप्रदेश

©Shivshankar pathak #seaside#कुण्डलिया #छन्द