क्यों चला गया जीवन लीला समाप्त कर तू सुशांत। कुछ अनकहे अनसुलझे सवाल तेरे हृदय में हो गये सदा के लिए शान्त। किसी से कुछ सांझा दिल का राज किया होता, राजपूत थे ज़िंदादिली से जिंदगी को जीया होता। लाखों दिलों की धड़कन युवाओं के रोल माडल थे कैसा चाहने वालों को जीने का नज़रिया दिया क्या तुम पागल थे। जो इस तरह हम सब का मन बुरी तरह कर गये अशांत। एक अदद अंतरंग मित्र से दिल की बात कह लेते कितना भी अवसाद होता यकीनन सह लेते। तेरी मुंबई से कितने भूखे मजबूर मज़दूर जिंदगी की जंग जीत चले अफसोस फिर तुम कैसे शोहरत के शिखर पर जीवन को यूँ रीत चले। राजदार वफादार दोस्तों के रहते होता नहीं मन ऐसे भ्रांत क्यों चला गया जीवन लीला समाप्त कर तू सुशांत। कुछ अनकहे अनसुलझे सवाल तेरे हृदय में हो गये सदा के लिए शान्त। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 14.06.2020 सुशान्त