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दामन छुड़ा लिया दिल तोड़ कर उसने ऐसे, मैं तकता रहा

 दामन छुड़ा लिया दिल तोड़ कर उसने ऐसे,
मैं तकता रहा बेबसी में उसे पाने को जैसे..!

न समझ पाया क्या हो रहा है क्यों और कैसे,
मौत हो रही है अरमानों की चिता चित में सुलग रही हो जैसे..!

काँप रहा है दिल दिमाग शोर कर रहा हो ऐसे,
बह रही हैं आँखें नदियों के बहाव के जैसे..!

मर रहा हूँ मैं अब नित नित ऐसे,
जीने की आस रखने वाला ही ज़िन्दगी से खफ़ा हो जैसे..!

©SHIVA KANT
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