,,,,,, जीवन में आती है एक बार फूलों की बहार जो थाम लेता है उसकी खुशबू को पी लेता है उसके इत्र को जीवन हो जाता है साकार फिर हृदय रहता है पुलकित सदाबहार ना इंतजार बसंत का ना फुवार सावन की फिर आनंद मादकता रोम रोम में रस घोलती