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दिल ने चाहा जिनसे मिलना, वो मुँह फुला,गुस्से में


दिल ने चाहा जिनसे मिलना,
वो मुँह फुला,गुस्से में ऐंठे ।
हम ही हर बार क्यों मनाएं, 
तौबा कर ली ,कान अमैठे ।
लोगों की आदत बहुत बुरी 
काम निकालना,भूल जाना ,।
आओ ! हम भी भूलें उनको,
जो हमें  लगभग भूल बैठे।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  भूलने वालो को भूलें

भूलने वालो को भूलें #कविता

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