कितनी कोशिशें करती है पलकें भींचकर तबाही को रोक लेने की सब को सुकून देने वाला यह पानी नैनो के भीतर चुभने लगता है खंगालता है हृदय की हर भावनाएँ ये आँसू भी कितनी विद्रोही प्रकृति का होता है बाहर निकल कर ही दम लेता है । और ढुलक जाता है गालों पर #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #आँसू #विद्रोही