सफ़र मैं एक मुसाफ़िर हूँ तेरे सफ़र का तू मंजूरी, मैं सवाल तेरे ख्वाब का कितना तय हुआ ये सफ़र-ऐ-मंजील तू इंतजार है मैं बना फासला दूरी का मैं तारा तेरे तारामंडल के समूह का तू चांद का टुकड़ा मेरी दुनिया का तेरी ओर चल बढ़ा हूँ उम्मीद लेकर तू दीदार करवा दे अपने रूप का मैं एक मुसाफ़िर हूँ तेरे सफ़र का तू मंजूरी, मैं सवाल तेरे ख्वाब का कितना चलू, मैं स्वांस-ऐ-सबनम तू बेशकीमती गहना मैं हार तेरे गले का #सफ़र