झूलों पर ये झूलते बच्चे बचपन की याद दिलाते हैं हम भी जिद करते माँ-बाप से गिरते-पड़ते भाग जाते थे घर में जब पकती खीर सेवइयां रसोई में ही छिप जाते थे मेहमानों के आ जाने से ही आमदनी की आश लगाते थे घर में खुराफात मचा कर छोटी पर इल्ज़ाम लगाते थे पढ़ने की जब बारी आती ना जाने नींद कहाँ से लाते थे आज फिर इन झूलों पर झूलकर उस बचपन में खो जाते हैं माना कि मेरी उम्र बढ़ गई है पर दिल से बच्चे हो जाते हैं। #poetry #yqpoetry #yqdidi #yqbaba #memories #love #dkchindi Image source-pinterest