सिलवटें आने लगी अब तो तन पर, बोझ जीवन का क्यों संभलता नहीं, याद आने को आती रही है उम्रभर, बिछड़ा जो शक्स फिर क्यों मिलता नहीं। बात करनी है उनसे छितिज तक मगर, वो साथ है तो कुछ बोलता क्यों नही, मौत आ जानी है जो हो कुंठित डगर, बंदिशों को वो फिर तोड़ता क्यों नहीं। ©AshuAkela बात दिल की जो कही न गई या सुनी न गई #8LinePoet