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तुम्हारी शतरंज और मेरी कविताएं तुम्हारी शतरंज और

तुम्हारी शतरंज 
और मेरी कविताएं तुम्हारी शतरंज और मेरी कविताएं
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धुल देती है शतरंज की बिसात बिछ गई जो कविताएं!
मन की बातें बन काले घरों में छुपे दबे मेरे प्यारे शब्द...
सफ़ेदपोश तुम्हारे मोहरे साफ-सुथरे चमकते, बन-ठन!

काला चुना कि ना दिखें, खो जाएं, हो जाएं अंतर्ध्यान!
बाज़ी तुम्हारी, बिसात तुम्हारी, मोहरें भी बस तुम्हारे,
तुम्हारी शतरंज 
और मेरी कविताएं तुम्हारी शतरंज और मेरी कविताएं
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धुल देती है शतरंज की बिसात बिछ गई जो कविताएं!
मन की बातें बन काले घरों में छुपे दबे मेरे प्यारे शब्द...
सफ़ेदपोश तुम्हारे मोहरे साफ-सुथरे चमकते, बन-ठन!

काला चुना कि ना दिखें, खो जाएं, हो जाएं अंतर्ध्यान!
बाज़ी तुम्हारी, बिसात तुम्हारी, मोहरें भी बस तुम्हारे,
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