तुम्हारी शतरंज और मेरी कविताएं तुम्हारी शतरंज और मेरी कविताएं ********************* धुल देती है शतरंज की बिसात बिछ गई जो कविताएं! मन की बातें बन काले घरों में छुपे दबे मेरे प्यारे शब्द... सफ़ेदपोश तुम्हारे मोहरे साफ-सुथरे चमकते, बन-ठन! काला चुना कि ना दिखें, खो जाएं, हो जाएं अंतर्ध्यान! बाज़ी तुम्हारी, बिसात तुम्हारी, मोहरें भी बस तुम्हारे,