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थी एक परी, मां के गर्भ में पल रही, घर में खुशियां

थी एक परी, मां के गर्भ में पल रही,
घर में खुशियां थी छाई, मां की कोख जो थी भरी।
पूरे नौ महीनों बाद एक पैग़ाम सी आई,
सुनकर रौनको की जगह, मायूसी थी छाई।
बाप के चेहरे पर सिकन, मां थी घबराई,
दादा -दादी का क्या, घर में खड़ी -खोटी सुनाई।
बाप था किसान, वो भी नौजवान,
मां को हिम्मत दे बोला, तुम मत घबरा मेरी जान।
जब जन्म ली ही है, तो किस्मत भी अपना होगा,
हौसला रख, इसका पूरा हर सपना होगा।
मैं हूं न, डरना मत, इसे पलकों पर बिठाना तुम,
इस संसार के सारी खुशियों से वाकिफ कराना तुम।
फिर क्या था -
वो जब भी मुस्कुराती थी, मां खिलखिलाती थी,
बाप की भी देखो, चेहरे पर रौनके लौट आती थी।
दादा -दादी भी खेलने को हुए मजबूर, 
एक परी जो उन्हें खेलवाती थी।।

©dashing raaz #Angel #परी #pari
थी एक परी, मां के गर्भ में पल रही,
घर में खुशियां थी छाई, मां की कोख जो थी भरी।
पूरे नौ महीनों बाद एक पैग़ाम सी आई,
सुनकर रौनको की जगह, मायूसी थी छाई।
बाप के चेहरे पर सिकन, मां थी घबराई,
दादा -दादी का क्या, घर में खड़ी -खोटी सुनाई।
बाप था किसान, वो भी नौजवान,
मां को हिम्मत दे बोला, तुम मत घबरा मेरी जान।
जब जन्म ली ही है, तो किस्मत भी अपना होगा,
हौसला रख, इसका पूरा हर सपना होगा।
मैं हूं न, डरना मत, इसे पलकों पर बिठाना तुम,
इस संसार के सारी खुशियों से वाकिफ कराना तुम।
फिर क्या था -
वो जब भी मुस्कुराती थी, मां खिलखिलाती थी,
बाप की भी देखो, चेहरे पर रौनके लौट आती थी।
दादा -दादी भी खेलने को हुए मजबूर, 
एक परी जो उन्हें खेलवाती थी।।

©dashing raaz #Angel #परी #pari