वसियत (पत्र अपनी बेटी के.नाम) मेरी प्यारी बेटी ईस छोटे से पत्र मे आज अपनी जिन्दगी भर की धरोहर लिख रही हूं । ईसमे वो कानूनी कागजों का तमाम खुलासा नहीं, लेकिन मेरे जीवन के चलचित्रों का वर्णन है। जो सिर्फ और सिर्फ मेरी धरोहर है , जिसे मैंने अपने कलेजे मैं पाला है, अपनी पलकों तले आखों का काजल बना सजा के रखा, अपनी सासों के तार से सदा जोडे रखा आजीवन । ईसके पहले तु कुछ समझ मैं तुझे ईसकी मुल्यता बता देना चाहती हूं । तो सुन विरासत (धरोहर) एक ऐसा शब्द है _ जिसका सीधा समबन्ध पेत्रीक संपति व अधिकारो से है। चाहे वो हमारा मूलभूत स्वभाव हो , या संसकार । बेटी ये ही हमारी असली विरासत हैं, वक्त के साथ साथ आलीशान महल भी खंडहर बन जाते है। ये तो निरजीव हैं सजीवों की भी यही कहनी है, एक दिन ईस काया को भी खाक मे मिल जाना है। ईसीलिये ये अपनी जिन्दगी के कुछ लम्हो को, अपनी डायरी मे तजुर्बो की तरह समेट कर रखा है तुम्हारे लिए। जब कभी मेरे न होने पर तुम अपने आप को अकेला पाओ, जिन्दगी के किसी मोड पर जब निराशा का आभास हो। तुम मेरी ईस डायरी मे मुझे जिन्दा महसूस करोगी। और मैं हमेशा तुम्हारे हर वक्त मे साथ होऊगी। मेरे पास तुम्हें वसियत मे देने के लिये सिर्फ , मेरी कमाई ये कुछ डायरी हैं, ईसमें मैंने जीवन के हर दौर मे भी अपने आपको होसलो से जोडें रखा है। आज ये वसियत, धरोहर, तजुर्बे, कुछ संस्कार,औऱ ढेर सारा प्यार, ममता ईसमे कैद कर रही हूं। मेरे न होने पर ईसे मेरी तरह मान देना, ये मेरी तरफ से तुम्हारे लिए एक धरोहर हैं, यही मेरी वसियत है ।। ढेरों सारा आशीर्वाद । तुम्हारी मम्मी .....।। कविता ।। #वसीयत पत्र #मेरी प्यारी बेटी