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बोटर भिखारी सा हो गया है, बोट का बजूद ही खो गया है

बोटर भिखारी सा हो गया है,
बोट का बजूद ही खो गया है।
बोतल में बोट मिल जाता है,
झूठ का ज्वार भाटा आता है।
विकास भी  लुप्त हो जाता है,
तभी तो बोटर मुँह की खाता है।
देश की लुटिया ना डुबाओ,
कुछ तुम भी  होश में आओ।

भारत भूषण झा"भरत"
बोटर भिखारी सा हो गया है,
बोट का बजूद ही खो गया है।
बोतल में बोट मिल जाता है,
झूठ का ज्वार भाटा आता है।
विकास भी  लुप्त हो जाता है,
तभी तो बोटर मुँह की खाता है।
देश की लुटिया ना डुबाओ,
कुछ तुम भी  होश में आओ।

भारत भूषण झा"भरत"