बहुत याद आते हैं मुझे मेरे शहर के तन्हा वीराने वो टूटे दिलों के मौसम और इसी में छुपे मैखाने बरसता आसमां होता था भीगता शहर और हम बहा लिया करते थे दर्द जमाने से छुपा के हम . बारिशों का भी अपना अनोखा एहसास है कोई बरसता तुम पर है जैसे कोई पास है शहर