#OpenPoetry खुली हवा में उड़ने का सपना देख, वह पंछी अंतिम सांस ले गया। थोड़ी भूख मिटाने की कोशिश में, वह भिखारी अपनी सांस छोड़ गया। तेज़ सर्दी में बचाव करने का सपना देख, वह राहगीर अपना आंगन छोड़ चला। भूक प्यास से तड़पती एक नन्ही जान, अपनी पूरी जवानी छोड़ गया। एक बेराजगार अपने रोजगार के लिए , अपनो को धोखा देकर चला गया। एक किसान बढ़ती मंहगाई के कारण , अपनी खुशियों को छोड़ गया। पिंजरे में बंधी मेरे सपनों की आवाज़, मेरी खामोशिया छोड़ गई।।।।। ©bhawnapanwar #OpenPoetry #top3 #openchallenge #myownpoem #bhawnapanwar #willbewinner #likeforlike #nojoto