क ई सालों बाद आज आया था वो मेरे गली पर ये खबर मुझ तक ना आई, मेरी खिड़की तो खुली थी, पर पर्दों ने कोई हलचल ना दिखाई। कुछ यूं समेट लिया था उसने अपने खुशबुओं को, वो मेरे दरवाजे पे दस्तक तो दी मगर मुझ तक ना आई। मुझे तक ना आई