में कहना बहुत चाहता था परन्तु परिस्थितिया मारती रही ठोकर... हो गया दूर में तुम्हारा अपना होकर पर भूल न सका न कल न आज अचानक स्वप्न में आवाज का आगाज ऐसा लगा मानो तुम कही आस पास ही हो अंतर्मन में फैली रोशनी महकी सी हवाये और ये बहकती फिजायें मध्यम चांदनी का दूधियापन उधर तुम प्रेम गीत गुनगुना रही थी.. इधर में रंग रंग बिखर रहा था.. लफ्ज तुमने बोले नाखून में कुतर रहा था प्रतीत होता ऐसे मानो.... छाया ही प्रेम के सूरज से बचा रही थी #shayri #bestyqhindiquotes #बेसहारा #परछाइयाँ