ढलती धूप के संग किसी दिन हम को भी ढल जाना है। मिट्टी के थे मिट्टी के है मिट्टी में मिल जाना है।। देखकर आसाइशे दुनिया की तू ना जल मियां। फानी है दुनिया यहां सब कुछ फ़ना हो जाना है।। जिन उरुजो के लिए तू करता है खुद से दगा। तेरी उन ऊंचाइयों को खाक में मिल जाना है।। सजदा कर अपनी जबी को तू झुका रब के हुज़ूर। तेरी पेशानी पे सजदे का निशां रह जाना है।। कर दे क़ुरबा अपनी ख्वाहिश रब की मर्जी पर मियां। शर्मिंदा ए ताबीर तेरा ख़्वाब हर हो जाना है।। तेरे शेरों को समझने की अदा सब में नहीं। जो समझ जाए उसे सोचों में गुम हो जाना है।। बात बतलाने का बस इतना सा मक़सद है मियां। इक अमल होने से कोशिश को रवाँ हो जाना है।। अस्ल तेरी खून का कतरा है और बादे वफ़ात। इख़्तितामे जान पर मुर्दा बदन रह जाना है।। @Miya ©ΔհΜεD_ɌαZα_ΘυʀΞៜΗι #हक़ीक़त #∆hMeD_RaZa_QurESHI @MiyA Azad ताहिर তাহীৰ indira