( 1 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार सिसक-सिसक कर ये कह रही माँ तुझसे इस बार ये नन्ही सी जान हत होकर अब ये धरा सिसकी ऐ माँ न ले तू अब मेरे प्राण देख अश्रु आज ये गगन बहाता सुनकर तेरी कोख की पुकार मानवता कहीं सचमुच न मर जाये यूँ न कर अपनी ममता को शर्मसार आने दे मुझे इस धरा पर न छीन मुझसे सांसों का अधिकार इतिहास उठाकर देख हर सभय्ता है बेटीयों का कर्जदार दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार माँ तेरी कोख से चीखती पुकार (next to be continued......) #कोख Sajal Jonny aman6.1 अरुणशुक्ल अर्जुन Anjali Goswami $Mahi..🙂