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सम्मान और आदर अब महज दिखावे के लिए रह गए हैं, दिलो

सम्मान और आदर अब महज दिखावे के लिए रह गए हैं,
दिलों में बैर ही बैर भरा है ना कोई भी एहसास रह गए हैं।

सामने से बनते हैं ये सबसे बड़े हिमायती और शुभचिंतक,
मन में नहीं है एक दूसरे के लिए कोई भाव, होड़ में लगे हैं।

स्वार्थ के लिए बनाते हैं रिश्ते, स्वार्थी बन गए हैं सभी यहां,
आधुनिकता की दौड़ में सभी भूलते जा रहे हैं संस्कार यहां।

दिलों से खत्म हो गया है सबके अब अपनेपन का एहसास,
रिश्तों का मोल नहीं कोई निभाना एक मजबूरी बन गया है।

नहीं रहा अब किसी की नजरों में बड़े छोटे का कोई लिहाज,
भूल गए आदर और सम्मान करने लगे हर बात पर एतराज।
-"Ek Soch"




 #सम्मानऔरआदर(चिंतन)
#कोराकागजविशेषप्रतियोगिता 
#कोराकागज 
#collabwithकोराकागज
सम्मान और आदर अब महज दिखावे के लिए रह गए हैं,
दिलों में बैर ही बैर भरा है ना कोई भी एहसास रह गए हैं।

सामने से बनते हैं ये सबसे बड़े हिमायती और शुभचिंतक,
मन में नहीं है एक दूसरे के लिए कोई भाव, होड़ में लगे हैं।

स्वार्थ के लिए बनाते हैं रिश्ते, स्वार्थी बन गए हैं सभी यहां,
आधुनिकता की दौड़ में सभी भूलते जा रहे हैं संस्कार यहां।

दिलों से खत्म हो गया है सबके अब अपनेपन का एहसास,
रिश्तों का मोल नहीं कोई निभाना एक मजबूरी बन गया है।

नहीं रहा अब किसी की नजरों में बड़े छोटे का कोई लिहाज,
भूल गए आदर और सम्मान करने लगे हर बात पर एतराज।
-"Ek Soch"




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