किसी रोज़ बैठते है फ़ुरसत में के चलते फिरते बातें पूरी नहीं होती मैं मेरे सवालों की पुड़िया लाऊँगा तुम लाना गठरी बहानों की तुम मुझ पे कई इल्ज़ाम लगाना मैं सहूँगा चोटें तानो की ज़ाहिर करेंगे मन की बातें और वजह नोक झोंक तकरारों की इतना चीखना इतना डाँटना के रूह काँपे दीवारों की किसी रोज़ बैठते है फ़ुरसत में के चलते फिरते बातें पूरी नहीं होती Letter 1 #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #agarwalspeaks #napowrimo