दिल चूर चूर शीशे की तरह, अफ़सोस प्यार पर होता है.. .लोगों की नजर से छिप छिप के, दिल फूट-फूट कर रोता है.. जब अपने पराए हो जाते , वो कैसा मंजर होता है.. एक रात गुजारे आंसू संग , एक नई सेज पर सोता है.. क्यों जोड़ता है दो टुकड़े दिल उसे तोड़ के दुख नहीं होता है लोगों की नजर से छिप छिप के दिल फूट-फूट कर रोता है... जब अपने पराए हो जाते