वो इत्र की शीशियां बेवज़ह इतराती हैं खुद पे, मैं तो तेरे ख़्यालों से ही महक जाता हूँ ।। # 𝒮𝒶𝓉𝒾𝓈𝒽 ✍ #इत्र