मेरे अरमान लिखे हैं जिसमे वो डायरी हो तुम मै हूँ गुमनाम शायर, मेरी शायरी हो तुम । तुम्हारी तरह ही झूठ नहीं है, इसमे लिखी हर बात सच है देखो तो बस कुछ शब्द हैं, समझो तो हैं जज़्बात, महफ़िल नहीं, मंज़िल नहीं, अब तो कोई मुश्किल नहीं, जिसे तुम तोड़ो और ना टूटे, पत्थर है फिर वो दिल नहीं, किया प्यार का गुनाह है, सज़ा काटनी है उम्र भर, ना पा सके, ना खो सके, ना भुला सके तुझे चाहकर, आँसू था लाना आँखों में, तुझे याद किया था इसलिए, अब तो तु है किसी और की, फिर चाहूँ तुझे मै किसलिए, हर लफ्ज में जो की मैंने वो इन्क्वायरी हो तुम, मै हूँ गुमनाम शायर, मेरी शायरी हो तुम । *मेरी डायरी* मेरी डायरी हो तुम