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चले आते हैं करने सार्थक अपना इतवार स्वेच्छा से केर

चले आते हैं करने सार्थक अपना इतवार
स्वेच्छा से केरते हैं कर्म यहां,
सकारात्मकता की बहती है बयार
शिद्दत से किए इनके प्रयासों से, लम्हा लम्हा निखर रहा है हिसार

©Sneh Prem Chand
  चले आते हैं करने सार्थक अपना इतवार

चले आते हैं करने सार्थक अपना इतवार #कविता

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