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**मोक्ष** *मोक्ष आत्मा का मूलाधार है,न कि देह का

**मोक्ष**

*मोक्ष आत्मा का मूलाधार है,न कि देह का अनुभव 
मोक्ष ध्यान का बोध है,न कि समझ का तूल सार है 
मोक्ष चेतना आविर्भाव है,न कि ह्रदय के भावों की है
मोक्ष प्रज्ञा से संबोधि निरख है न कि बुद्धि की समझ 
मोक्ष जीव बोधिरमयम होश है न कि शरीरभेद की दौड़ 
मोक्ष चैतन्य अस्तित्व निधि है न की नियमबध्द विधि 
मोक्ष शून्य से शून्य तक है न कि अंको की परिपाटी कृति
मोक्ष पूर्ण से महापूर्ण है न की अपूर्ण की पूर्ण निधि 
मोक्ष जन्म-मृत्यु के पार जीवन है न कि अमरता की युक्ति 
मोक्ष स्वयं से स्वयंभू चिरसमाधि अव्यक्त परोक्ष परमरहस्य है न की ज्ञान तक अवस्थित ज्ञेय है 

**अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)**

©Abhimanyu Dwivedi bodh
**मोक्ष**

*मोक्ष आत्मा का मूलाधार है,न कि देह का अनुभव 
मोक्ष ध्यान का बोध है,न कि समझ का तूल सार है 
मोक्ष चेतना आविर्भाव है,न कि ह्रदय के भावों की है
मोक्ष प्रज्ञा से संबोधि निरख है न कि बुद्धि की समझ 
मोक्ष जीव बोधिरमयम होश है न कि शरीरभेद की दौड़ 
मोक्ष चैतन्य अस्तित्व निधि है न की नियमबध्द विधि 
मोक्ष शून्य से शून्य तक है न कि अंको की परिपाटी कृति
मोक्ष पूर्ण से महापूर्ण है न की अपूर्ण की पूर्ण निधि 
मोक्ष जन्म-मृत्यु के पार जीवन है न कि अमरता की युक्ति 
मोक्ष स्वयं से स्वयंभू चिरसमाधि अव्यक्त परोक्ष परमरहस्य है न की ज्ञान तक अवस्थित ज्ञेय है 

**अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)**

©Abhimanyu Dwivedi bodh