लफ्ज़ों का क्या है, आज ब्यान करती है हकीकत तो, कल रूबरू कराती है सच्चाई ना कल सम्भले थे और ना आज बस लफ्ज़ों को ब्यान करते करते सम्भाल ना पाये खुद की फरियाद !! लफ्ज़ों का क्या है