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कक्ष शीतल है शयन में चिंतन है मार्ग को अवरुद्ध किय

कक्ष शीतल है शयन में चिंतन है
मार्ग को अवरुद्ध किये यौवन है
साहस भटकता बहकता यहाँ
राष्ट्र मूढ़ सा तकता हुआ मौन है
.
अनुभव अतीत को गले लगाए
आलोचना में है मग्न मुदित है
उद्यमिता उलझी हुई भ्रमित
आश्वासनों की बाढ़ से चकित है
.
किंकर्तव्यमूढ़ सारा वातावरण है
मिथ्या पर सत्य का आवरण है
उद्विग्न विवेक निराश हो चला
उज्ज्वल भविष्य पर ग्रहण है
.
कविधर्म मेरा कहता है लिखो
जो भी घटित होता है लिखो
कक्ष धीर का भी अब तपता है
शब्द तप्त हैं भी तो क्या, लिखो
.
धीर



 लिखो
कक्ष शीतल है शयन में चिंतन है
मार्ग को अवरुद्ध किये यौवन है
साहस भटकता बहकता यहाँ
राष्ट्र मूढ़ सा तकता हुआ मौन है
.
अनुभव अतीत को गले लगाए
आलोचना में है मग्न मुदित है
उद्यमिता उलझी हुई भ्रमित
आश्वासनों की बाढ़ से चकित है
.
किंकर्तव्यमूढ़ सारा वातावरण है
मिथ्या पर सत्य का आवरण है
उद्विग्न विवेक निराश हो चला
उज्ज्वल भविष्य पर ग्रहण है
.
कविधर्म मेरा कहता है लिखो
जो भी घटित होता है लिखो
कक्ष धीर का भी अब तपता है
शब्द तप्त हैं भी तो क्या, लिखो
.
धीर



 लिखो