तुम जान जाओगे ज़रा शीशे में खुद को देख लो तुम जान जाओगे परख मेरी दो नज़रों की भी तुम पहचान जाओगे तुम्हीं सबसे हसीं हो इस जहां में कह दिया मैंने मेरी इस बात को तुम मुस्कुरा कर मान जाओगे लुटाना प्यार का मुश्किल है मैं भी मानता हूँ पर कोई तो रास्ता निकलेगा गर तुम ठान जाओगे बड़ी मुद्दत हुईं ये सर तेरे आँचल को तकता है कभी देके क्या तुम इसको हसीं मुस्कान जाओगे गुजरते जाते हैं दिन रात और लम्बे महीने भी मुझे करते हुए क्या तुम यूँ ही हैरान जाओगे ये सूनापन तुम्हारे बिन कभी ना ख़त्म होता है कहो गा के तुम अपने प्रेम का कब गान जाओगे तुम्हीं सबसे धनी हो इस जहां में पूछ लो मुझसे तुम दे के क्या मधुकर को खुद का दान जाओगे tum jan jaoge