Thank you for being connected Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat जितना जान पाएं हम उतना पहचान पाएं हम लेखनी की ताकत को ख़ुद में पहचान पाएं हम आपके शब्दों में हम ख़ुद को पहचान पाएं हम बस बेबाक ज़िन्दगी की शक्षियत को अपने पहचान पाएं हम। लिखते लिखते लिख डाला अब परिंदों को उड़ा डाला अब , स्याह ए समुद्र में फेंक यूं बेकार की बातों को मुनासिब समझ कर ख़ुद ना कहीं खो देना। ख़ुद में पहचान बाक़ी है अब लिखने की ताकत, लिखते रहे अब स्याही में डूबे जज़बात यूं ही पन्नों पर बिखेरते रहे। विश्वास को विश्वास जगाते रहे। Dedicating a #testimonial to gulrej khan Thank you for being connected Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat जितना जान पाएं हम उतना पहचान पाएं हम लेखनी की ताकत को ख़ुद में पहचान पाएं हम