प्रकाशोत्सव का है महोत्सव आज सखी बहती गंगा में धो लो हाथ। ये दुर्लभ अवसर फिर न मिलेगा ये रुहानी सूरज जीवन में फिर न उगेगा। लाभ उठा ले संवार ले मानुष काज। दुर्लभ मानुष जन्म है मौका ईश मिलन है सतगुरू प्रगटे जीवन में सुलभ सब साज। सतगुरू कहे वह तुम अब कर लो जीवन सफल अपना तुम कर लो। ध्यान धर सतगुरु का सुन अनहद नाद। जाय मिलो प्रियतम अपने से छूटो काल के मायावी सपने से। निष्काम भाव से अर्ज करो गुरु अपने से। प्रभु नाम में लीन तुम हो जाओ छोड़ो सब व्यर्थ जगत के काज। प्रकाशोत्सव का है महोत्सव आज सखी बहती गंगा में धो लो हाथ। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 01.08.2020 प्रकाशोत्सव