करत सवारी साइकिल हाथी है चिल्लाय अपनी पक्की दोस्ती देंगे जग देखाय । देंगे जग देखाय ये अपना पक्का वादा नहीं मिली थी सत्ता इस लिये किया इरादा।। अलक कहे ये बात नहीं है तनिक भी सच्ची साइकिल चले अब हाथी लगे ये यारी कच्ची ।। जल्दी ही इस यारी में दीवार बनेगी जब गलियारे में, सत्ता की बयार चलेगी ।। अशोक सिंह आजमगढ़