चाहत के जितने रंग हैं , वो लगे सभी अंग अंग है ! तेरे चेहरे की जो चाँदनी है , आँखों में बसी सिर्फ तेरी ही छवि है ! तेरी होंठों की जो लाली है , मैंने अपने होंठों पे सजाली है ! ये जो तेरे आँखों का नशा है , वो सिर्फ़ मेरे सर पे जा चढ़ा है ! तेरी भीनी भीनी सी ख़ुशबू है , महकती चाँदनी को मिला यूँ असर है ! DQ : 392 जो मैं देखूँ तुम्हें एक बार , आँखों के दृस्य सिर्फ़ तुमपर ही मेरी नज़र है ! चाहत मेरी तुमसे उम्र भर है , जन्म जन्मों का ही तो ये सबब है !